याद-ए-हज़ीं नुक़ूश-ए-करम और निगाह-ए-चंद
क्या बाँधा हम ने रख़्त-ए-सफ़र कुछ न पूछिए
जय कृष्ण चौधरी हबीब उर्दू, फ़ारसी, संस्कृत और अंग्रेज़ी के विद्वान और उर्दू के एक अहम शायर के तौर पर जाने जाते हैं। उन्होंने देश के स्वतंत्रता संग्राम में भी हिस्सा लिया और आज़ाद हिन्दोस्तान के अहम प्रशासनिक कार्यों से भी जुड़े रहे।
ये ज़माना वो था जब देश की आज़ादी की जद्दो-जहद अपनी पराकाष्ठा पर थी। चौधरी साहिब ने भी इस में हिस्सा लिया। विभाजन से पहले वो एबटाबाद कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे। इस अर्से में वो महात्मा गांधी, जवाहर लाल नहरू, मौलाना आज़ाद और दूसरे कांग्रेसी नेताओं के क़रीब रहे। विभाजन के बाद हिन्दोस्तान आ गए। १९४८ से १९५२ तक वो राजस्थान में अस्सिटैंट रीजनल कमिशनर रहे। १९५३ में भारतीय प्रशासनिक सेवा में चुन लिए गए और अहम प्रशासनिक ओहदों पर रहे।
जय कृष्ण चौधरी का कविता संग्रह 'गीत जीवन' नाम से प्रकाशित हुआ था। कविता के अलावा, उन्होंने कालिदास, भर्तृहरि, मीराबाई, अब्दुल रहीम ख़ान ख़ाना जैसे कवियों की रचनाओं का उर्दू में अनुवाद भी किया।