जमाल पानीपती के शेर
दम-ब-दम उठती हैं किस याद की लहरें दिल में
दर्द रह रह के ये करवट सी बदलता क्या है
क्या हो गया गुलशन को साकित है फ़ज़ा कैसी
सब शाख़ ओ शजर चुप हैं हिलता नहीं पत्ता भी
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