noImage

जुनैद हज़ीं लारी

1933 | बनारस, भारत

जुनैद हज़ीं लारी

ग़ज़ल 3

 

नज़्म 1

 

अशआर 15

देखा नहीं वो चाँद सा चेहरा कई दिन से

तारीक नज़र आती है दुनिया कई दिन से

  • शेयर कीजिए

वो सादगी में भी है अजब दिलकशी लिए

इस वास्ते हम उस की तमन्ना में जी लिए

  • शेयर कीजिए

क़तरा हो तो बहर आए वजूद में

पानी की एक बूँद समुंदर से कम नहीं

  • शेयर कीजिए

इश्क़ है जी का ज़ियाँ इश्क़ में रक्खा क्या है

दिल-ए-बर्बाद बता तेरी तमन्ना क्या है

  • शेयर कीजिए

कभी इस राह से गुज़रे वो शायद

गली के मोड़ पर तन्हा खड़ा हूँ

  • शेयर कीजिए

पुस्तकें 2

 

चित्र शायरी 1

 

"बनारस" के और शायर

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 2-3-4 December 2022 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate, New Delhi

GET YOUR FREE PASS
बोलिए