लुत्फ़ुन्निसा इम्तियाज़
ग़ज़ल 8
नज़्म 1
अशआर 3
जुनूँ के शाह ने जब से लिया है क़िलअ'-ए-दिल को
ये मुल्क-ए-अक़्ल वीराँ हो गया किस किस ख़राबी से
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
इश्क़ के घाट पर सँभल कर चढ़
क्यों कि उस का चढ़ाओ मुश्किल है
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
पंद से नासेह के दोज़ख़ का मुझे कुछ ख़ौफ़ नईं
मग़्फ़िरत बे-शक हुई जिस का अली वाली हुआ
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए