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महमूदा अख़्तर महमूदा

महमूदा अख़्तर महमूदा

अशआर 3

मौसम बहार का है चमन पर बहार है

बुलबुल फ़िदा-ए-गुल है गुलों पर निखार है

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मीलाद-ए-शह का दिन है कि ये रोज़-ए-ईद है

इक बादा-ख़्वार का सा सबा में ख़ुमार है

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बुलबुल चहक के कहती है मुद्दत के बा'द फिर

गुलशन में आज आमद-ए-फ़स्ल-ए-बहार है

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