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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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महशर बदायुनी

1922 - 1994 | कराची, पाकिस्तान

महशर बदायुनी

ग़ज़ल 58

नज़्म 6

अशआर 7

अब हवाएँ ही करेंगी रौशनी का फ़ैसला

जिस दिए में जान होगी वो दिया रह जाएगा

अभी सर का लहू थमने पाया

उधर से एक पत्थर और आया

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करे दरिया पुल मिस्मार मेरे

अभी कुछ लोग हैं उस पार मेरे

जिस के लिए बच्चा रोया था और पोंछे थे आँसू बाबा ने

वो बच्चा अब भी ज़िंदा है वो महँगा खिलौना टूट गया

मैं इतनी रौशनी फैला चुका हूँ

कि बुझ भी जाऊँ तो अब ग़म नहीं है

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पुस्तकें 3

 

चित्र शायरी 1

 

वीडियो 14

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

महशर बदायुनी

महशर बदायुनी

महशर बदायुनी

महशर बदायुनी

Mahshar Badayuni at a mushaira

महशर बदायुनी

Reading his poetry at a mushaira

महशर बदायुनी

आख़िर आख़िर एक ग़म ही आश्ना रह जाएगा

महशर बदायुनी

मिट्टी की इमारत साया दे कर मिट्टी में हमवार हुई

महशर बदायुनी

करे दरिया न पुल मिस्मार मेरे

महशर बदायुनी

करे दरिया न पुल मिस्मार मेरे

महशर बदायुनी

दियों को ख़ुद बुझा कर रख दिया है

महशर बदायुनी

लब-ए-तलब भी न फिर माइल-ए-सवाल हुआ

महशर बदायुनी

लब-ए-तलब भी न फिर माइल-ए-सवाल हुआ

महशर बदायुनी

वो हाल है कि तलाश-ए-नजात की जाए

महशर बदायुनी

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