Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Malika Naseem's Photo'

मलिका नसीम

1954

क्लासिकी ग़ज़ल का समकालीन संवेदना के साथ संगम, बावक़ार निस्वानी लहजे से आरास्ता

क्लासिकी ग़ज़ल का समकालीन संवेदना के साथ संगम, बावक़ार निस्वानी लहजे से आरास्ता

मलिका नसीम का परिचय

ख़्वाब ठहरे थे तो आँखें भीगने से बच गईं

वर्ना चेहरे पर तो ग़म की बारिशों का अक्स है

मलिका नसीम, जिनका जन्म 1 जनवरी 1954 को इलाहाबाद में हुआ, वर्तमान में जयपुर में रहती हैं। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। 1980 के आसपास उभरने वाली महिला शायरों में उनका एक प्रमुख स्थान है। मलिका नसीम मुशायरों में भी काफ़ी मशहूर हैं और उन्हें राजस्थान उर्दू अकादमी द्वारा साहित्यिक उपलब्धियों के लिए पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उनके काव्य में समकालीन प्रवृत्तियों और संवेदनशीलता का मेल क्लासिकल ग़ज़ल के साथ देखने को मिलता है। उनकी स्त्रीवादी आवाज़ बहुत गरिमापूर्ण और प्रभावशाली मानी जाती है।

संबंधित टैग

Recitation

बोलिए