Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Meer Ahmad Naved's Photo'

मीर अहमद नवेद

1955 | पाकिस्तान

मीर अहमद नवेद के शेर

293
Favorite

श्रेणीबद्ध करें

कुछ इस तरह से कहा मुझ से बैठने के लिए

कि जैसे बज़्म से उस ने उठा दिया है मुझे

मैं अपने हिज्र में था मुब्तला अज़ल से मगर

तिरे विसाल ने मुझ से मिला दिया है मुझे

ज़ख़्म-ए-तलाश में है निहाँ मरहम-ए-दलील

तू अपना दिल हार मोहब्बत बहाल रख

जो मिल गए तो तवंगर मिल सके तो गदा

हम अपनी ज़ात के अंदर छुपा दिए गए हैं

मुमकिन नहीं है शायद दोनों का साथ रहना

तेरी ख़बर जब आई अपनी ख़बर गई है

ख़ुद से गुज़रे तो क़यामत से गुज़र जाएँगे हम

यानी हर हाल की हालत से गुज़र जाएँगे हम

चराग़-हा-ए-तकल्लुफ़ बुझा दिए गए हैं

उठाओ जाम कि पर्दे उठा दिए गए हैं

ख़लिश बोल क्या यही है ख़ुदा

ये जो दिल में ख़ला सा रहता है

पेश-ए-ज़मीं रहूँ कि पस-ए-आसमाँ रहूँ

रहता हूँ अपने साथ मैं चाहे जहाँ रहूँ

रात उस बज़्म में तस्वीर के मानिंद थे हम

हम से पूछे तो कोई शम्अ का जलना क्या था

दबा सका सदा उस की तेरी बज़्म का शोर

ख़मोश रह के भी कोई सदा बना हुआ है

वक़्त तू कहीं भी किसी का हुआ है क्या

क्या तुझ को देखना तिरी साअत को देखना

मैं कहीं आऊँ मैं कहीं जाऊँ

वक़्त जैसे रुका सा रहता है

Recitation

बोलिए