Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Meer Mehdi Majrooh's Photo'

मीर मेहदी मजरूह

1833 - 1903 | दिल्ली, भारत

मीर मेहदी मजरूह

ग़ज़ल 20

अशआर 37

चुरा के मुट्ठी में दिल को छुपाए बैठे हैं

बहाना ये है कि मेहंदी लगाए बैठे हैं

  • शेयर कीजिए

क्या हमारी नमाज़ क्या रोज़ा

बख़्श देने के सौ बहाने हैं

  • शेयर कीजिए

कुछ अर्ज़-ए-तमन्ना में शिकवा सितम का था

मैं ने तो कहा क्या था और आप ने क्या जाना

ग़ैरों को भला समझे और मुझ को बुरा जाना

समझे भी तो क्या समझे जाना भी तो क्या जाना

शग़्ल-ए-उल्फ़त को जो अहबाब बुरा कहते हैं

कुछ समझ में नहीं आता कि ये क्या कहते हैं

  • शेयर कीजिए

रुबाई 7

पुस्तकें 9

 

संबंधित शायर

"दिल्ली" के और शायर

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

GET YOUR PASS
बोलिए