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मोहसिन असरार

1948 | पाकिस्तान

मोहसिन असरार

ग़ज़ल 27

अशआर 23

आँख से आँख मिलाना तो सुख़न मत करना

टोक देने से कहानी का मज़ा जाता है

बहुत कुछ तुम से कहना था मगर मैं कह पाया

लो मेरी डाइरी रख लो मुझे नींद रही है

मैं बैठ गया ख़ाक पे तस्वीर बनाने

जो किब्र थे मुझ में वो तिरी याद से निकले

जवाब देता है मेरे हर इक सवाल का वो

मगर सवाल भी उस की तरफ़ से होता है

'मोहसिन' बुरे दिनों में नया दोस्त कौन हो

है जिस का पहला क़र्ज़ उसी से सवाल कर

पुस्तकें 1

 

चित्र शायरी 3

 

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