Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Nafas Ambalvi's Photo'

नफ़स अम्बालवी

1961 | अमबाला, भारत

नफ़स अम्बालवी

ग़ज़ल 41

अशआर 24

इंकार कर रहा हूँ तो क़ीमत बुलंद है

बिकने पे गया तो गिरा देंगे दाम लोग

ज़ख़्म अभी तक ताज़ा हैं हर दाग़ सुलगता रहता है

सीने में इक जलियाँ-वाला-बाग़ सुलगता रहता है

  • शेयर कीजिए

तारीकियाँ क़ुबूल थीं मुझ को तमाम उम्र

लेकिन मैं जुगनुओं की ख़ुशामद कर सका

  • शेयर कीजिए

ये इश्क़ के ख़ुतूत भी कितने अजीब हैं

आँखें वो पढ़ रही हैं जो तहरीर भी नहीं

  • शेयर कीजिए

हमारी राह से पत्थर उठा कर फेंक मत देना

लगी हैं ठोकरें तब जा के चलना सीख पाए हैं

  • शेयर कीजिए

चित्र शायरी 1

 

"अमबाला" के और शायर

 

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

Get Tickets
बोलिए