पटना में 18 साल टी वी पत्रकारिता में रहने के बाद नीलांशु रंजन का अदबी सफ़र शुरू हुआ। सन् 2018 में इनका एक उपन्यास ‘‘ ख़ामोश लम्हों का सफ़र‘‘ अनुज्ञा बुक्स, शाहरदा दिल्ली से शाया हुआ। विवाहेतर प्रेम पर आधारित यह उपन्यास काफ़ी चर्चित हुआ और इस पर एक फ़ीचर फि़ल्म भी बनने जा रही है।
सन् 2019 में नीलांशु रंजन का नज़्मों का मज्मुअ ‘‘ रात, ख़ामोशी और तुम....‘‘ हिन्द युग्म से शाया हुआ। इसकी भूमिका लिखी है मक़बूल शायर राहत इन्दौरी ने। इस मज्मुअ में मुनव्वर राना ने भी नज़्मों के बाबत अपनी ख़ूबसूरत राय ज़ाहिर की है।
सन् 2013 में नेशनल बुक ट्रस्ट से किसान आंदोलन के प्रणेता स्वामी सहजानंद सरस्वती की जीवनी शाया हुई और उसका अंग्रेज़ी में तर्ज़मा 2021 के अगस्त में प्रकाशित हुआ है। इस शायर का दूसरा उपन्यास ‘‘ फ़ासले-दर-फ़ासले‘‘ भी जल्द आपके सामने होगा। यह साम्प्रदायिक दंगे पर आधारित है। कई मुशायरों में शिरकत। लाॅकडाउन में सउदी अरब की अदबी संस्था ‘‘शैक़ीने अदब‘‘ में इन्हें दावत दी गई थी।
फिलवक़्त मुम्बई में रहना हो रहा है फि़ल्मों में गीत व कहानी लिखने के सिलसिले में।