प्रणव मिश्र तेजस के शेर
मुझ से ख़ला में बात भी करना नहीं रफ़ीक़
ऐसे ख़ला में बात भी करना है इक गुनाह
जाते नहीं हैं और कहीं फाँकने को धूल
सहरा हमारे घर का है मेहमान इन दिनों
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
अपनी तलब में शौक़ से जगते हैं रात-भर
हम को किसी के इश्क़ का मारा न जानिए
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
सिगरेट से जा के दूर गिरा ख़ाक हो गया
आया शरर की शक्ल में सोज़-ए-निहाँ का दर्द
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
सज्दा हुआ हमेशा फ़क़ीरों के इल्म पर
हम आगही पे मरते हैं पोशाक पर नहीं
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
न जाने कौन सी तुरपन उधेड़ रक्खी है
किसी के जाने से इतना भी कौन रोता है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड