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Qamar Abbas Qamar's Photo'

क़मर अब्बास क़मर

1993 | दिल्ली, भारत

नई नस्ल के नुमाइंदा शाइर

नई नस्ल के नुमाइंदा शाइर

क़मर अब्बास क़मर

ग़ज़ल 6

नज़्म 1

 

अशआर 17

अना ने दोनों के बीच नफ़रत की एक दीवार खींच दी है

उधर से आने का मसअला है इधर से जाने का मसअला है

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बहुत ग़ुरूर था सूरज को अपनी शिद्दत पर

सो एक पल ही सही बादलों से हार गया

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मैं रो पड़ूँगा बहुत भींच के गले लगा

मैं पहले जैसा नहीं हूँ किसी का दुख है मुझे

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मुझे बचा ले मिरे यार सोज़-ए-इमशब से

कि इक सितारा-ए-वहशत जबीं से गुज़रेगा

मेरे माथे पे उभर आते थे वहशत के नुक़ूश

मेरी मिट्टी किसी सहरा से उठाई गई थी

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