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Qateel Shifai's Photo'

क़तील शिफ़ाई

1919 - 2001 | लाहौर, पाकिस्तान

सबसे लोकप्रिय शायरों में शामिल/प्रमुख फि़ल्म गीतकार/अपनी गज़ल ‘गर्मी-ए-हसरत-ए-नाकाम से जल जाते है’ के लिए प्रसिद्ध

सबसे लोकप्रिय शायरों में शामिल/प्रमुख फि़ल्म गीतकार/अपनी गज़ल ‘गर्मी-ए-हसरत-ए-नाकाम से जल जाते है’ के लिए प्रसिद्ध

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

क़तील शिफ़ाई

क़तील शिफ़ाई

Qatiil Shifai reading in a mushaira

Qatiil Shifai reading in a mushaira क़तील शिफ़ाई

Qatil shifaii at mushaira

क़तील शिफ़ाई

अंगड़ाई पर अंगड़ाई लेती है रात जुदाई की

क़तील शिफ़ाई

आओ कोई तफ़रीह का सामान किया जाए

क़तील शिफ़ाई

ये मो'जिज़ा भी मोहब्बत कभी दिखाए मुझे

क़तील शिफ़ाई

रक़्स करने का मिला हुक्म जो दरियाओं में

क़तील शिफ़ाई

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उस्ताद अमानत अली ख़ान

मेहदी हसन

अपने हाथों की लकीरों में सजा ले मुझ को

अपने हाथों की लकीरों में सजा ले मुझ को मसूद तन्हा

उल्फ़त की नई मंज़िल को चला तू बाँहें डाल के बाँहों में

उल्फ़त की नई मंज़िल को चला तू बाँहें डाल के बाँहों में इक़बाल बानो

उस अदा से भी हूँ मैं आश्ना तुझे इतना जिस पे ग़ुरूर है

उस अदा से भी हूँ मैं आश्ना तुझे इतना जिस पे ग़ुरूर है एजाज़ हुसैन हज़रावी

क़तील शिफ़ाई

क़तील शिफ़ाई तौसीफ़ अख़्तर

गर्मी-ए-हसरत-ए-नाकाम से जल जाते हैं

गर्मी-ए-हसरत-ए-नाकाम से जल जाते हैं मेहदी हसन

दिल को ग़म-ए-हयात गवारा है इन दिनों

दिल को ग़म-ए-हयात गवारा है इन दिनों प्रतिभा बघेल

यारो किसी क़ातिल से कभी प्यार न माँगो

यारो किसी क़ातिल से कभी प्यार न माँगो मेहदी हसन

सदमा तो है मुझे भी कि तुझ से जुदा हूँ मैं

सदमा तो है मुझे भी कि तुझ से जुदा हूँ मैं मसूद तन्हा

हालात के क़दमों पे क़लंदर नहीं गिरता

हालात के क़दमों पे क़लंदर नहीं गिरता मसूद तन्हा

अज्ञात

अंगड़ाई पर अंगड़ाई लेती है रात जुदाई की

अंगड़ाई पर अंगड़ाई लेती है रात जुदाई की चित्रा सिंह

अपने हाथों की लकीरों में सजा ले मुझ को

अपने हाथों की लकीरों में सजा ले मुझ को अज्ञात

अपने हाथों की लकीरों में सजा ले मुझ को

अपने हाथों की लकीरों में सजा ले मुझ को अज्ञात

अपने हाथों की लकीरों में सजा ले मुझ को

अपने हाथों की लकीरों में सजा ले मुझ को अज्ञात

अपने हाथों की लकीरों में सजा ले मुझ को

अपने हाथों की लकीरों में सजा ले मुझ को असद अमानत अली

अपने होंटों पर सजाना चाहता हूँ

अपने होंटों पर सजाना चाहता हूँ जगजीत सिंह

इक जाम खनकता जाम कि साक़ी रात गुज़रने वाली है

इक जाम खनकता जाम कि साक़ी रात गुज़रने वाली है ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

किया है प्यार जिसे हम ने ज़िंदगी की तरह

किया है प्यार जिसे हम ने ज़िंदगी की तरह जगजीत सिंह

किया है प्यार जिसे हम ने ज़िंदगी की तरह

किया है प्यार जिसे हम ने ज़िंदगी की तरह ग़ुलाम अली

गर्मी-ए-हसरत-ए-नाकाम से जल जाते हैं

गर्मी-ए-हसरत-ए-नाकाम से जल जाते हैं पंकज उदास

गर्मी-ए-हसरत-ए-नाकाम से जल जाते हैं

गर्मी-ए-हसरत-ए-नाकाम से जल जाते हैं ज़ाहिदा परवीन

गर्मी-ए-हसरत-ए-नाकाम से जल जाते हैं

गर्मी-ए-हसरत-ए-नाकाम से जल जाते हैं नसीम बेगम

गर्मी-ए-हसरत-ए-नाकाम से जल जाते हैं

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वो दिल ही क्या तिरे मिलने की जो दुआ न करे अज्ञात

वो दिल ही क्या तिरे मिलने की जो दुआ न करे

वो दिल ही क्या तिरे मिलने की जो दुआ न करे अज्ञात

वो दिल ही क्या तिरे मिलने की जो दुआ न करे

वो दिल ही क्या तिरे मिलने की जो दुआ न करे अज्ञात

वो दिल ही क्या तिरे मिलने की जो दुआ न करे

वो दिल ही क्या तिरे मिलने की जो दुआ न करे अज्ञात

वो दिल ही क्या तिरे मिलने की जो दुआ न करे

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