रऊफ़ रहीम
ग़ज़ल 1
अशआर 1
मिल्लत की आबरू को मिलाता है ख़ाक में
लीडर हमारा कितना बड़ा ख़ाकसार है
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere