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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

रौनक़ नईम के शेर

इन दरख़्तों से भी नाता जोड़िए

जिन दरख़्तों का कोई साया नहीं

सैकड़ों पुल बने फ़ासले भी मिटे

आदमी आदमी से जुदा ही रहा

बेहतर है अब दूर रहो तुम टेसू के इन फूलों से

शोख़ बहुत है इन की सुर्ख़ी आईना दिखलाए तो

गली गली में तकल्लुफ़ की धूल होती है

अब अपना शहर भी लगता है अजनबी की तरह

हालात-ए-ख़ूँ-आशाम से ग़ाफ़िल नहीं लेकिन

ज़ुल्म तिरे हाथ पे बैअ'त नहीं करते

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