noImage

रज़ा अज़ीमाबादी

रज़ा अज़ीमाबादी

ग़ज़ल 38

अशआर 25

देखी थी एक रात तिरी ज़ुल्फ़ ख़्वाब में

फिर जब तलक जिया मैं परेशान ही रहा

  • शेयर कीजिए

सौ ईद अगर ज़माने में लाए फ़लक व-लेक

घर से हमारे माह-ए-मुहर्रम जाएगा

  • शेयर कीजिए

यारब तू उस के दिल से सदा रखियो ग़म को दूर

जिस ने किसी के दिल को कभी शादमाँ किया

  • शेयर कीजिए

काबे में शैख़ मुझ को समझे ज़लील लेकिन

सौ शुक्र मय-कदे में है ए'तिबार अपना

  • शेयर कीजिए

रफ़ू फिर कीजियो पैराहन-ए-यूसुफ़ को ख़य्यात

सिया जाए तो सी पहले तू चाक-ए-दिल ज़ुलेख़ा का

  • शेयर कीजिए

पुस्तकें 2

 

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 2-3-4 December 2022 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate, New Delhi

GET YOUR FREE PASS
बोलिए