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Saghar Siddiqui's Photo'

साग़र सिद्दीक़ी

1928 - 1974 | लाहौर, पाकिस्तान

प्रसिद्ध उर्दू और पंजाबी शाइर

प्रसिद्ध उर्दू और पंजाबी शाइर

साग़र सिद्दीक़ी

ग़ज़ल 43

अशआर 44

ज़िंदगी जब्र-ए-मुसलसल की तरह काटी है

जाने किस जुर्म की पाई है सज़ा याद नहीं

जिस अहद में लुट जाए फ़क़ीरों की कमाई

उस अहद के सुल्तान से कुछ भूल हुई है

कल जिन्हें छू नहीं सकती थी फ़रिश्तों की नज़र

आज वो रौनक़-ए-बाज़ार नज़र आते हैं

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दिल-ए-बे-क़रार चुप हो जा

जा चुकी है बहार चुप हो जा

मौत कहते हैं जिस को 'साग़र'

ज़िंदगी की कोई कड़ी होगी

क़ितआ 22

नअत 1

 

पुस्तकें 7

 

वीडियो 8

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मसूद तन्हा

चराग़-ए-तूर जलाओ बड़ा अँधेरा है

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मसूद तन्हा

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ग़ुलाम अली

चराग़-ए-तूर जलाओ बड़ा अँधेरा है

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नुसरत फ़तह अली ख़ान

मैं तल्ख़ी-ए-हयात से घबरा के पी गया

साग़र सिद्दीक़ी

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