सलमान सईद
ग़ज़ल 19
नज़्म 2
अशआर 15
फ़क़त ये लकड़ी नहीं है तुम्हारी बैसाखी
शजर के हाथ कटे हैं इसे बनाने में
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वो हिज्र-ज़ादे शब-ए-वस्ल ये भी भूल गए
चराग़ उन को जलाने नहीं बुझाने थे
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आप के हाथ में है मुझ से त'अल्लुक़ का रेमोट
आप चाहें तो ये चैनल भी बदल सकते हैं
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हमारे खेल की गुड़िया तुम्ही हो
तुम्हारे खेल का गुड्डा नया है
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