aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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Sayad Mohammad Abdul Ghafoor Shahbaz's Photo'

सययद मोहम्म्द अब्दुल ग़फ़ूर शहबाज़

1859 - 1908 | कोलकाता, भारत

अनुवादक,शायर,कुल्लियात-ए-नज़ीर के संपादक और शोधकर्ता

अनुवादक,शायर,कुल्लियात-ए-नज़ीर के संपादक और शोधकर्ता

सययद मोहम्म्द अब्दुल ग़फ़ूर शहबाज़

ग़ज़ल 5

 

अशआर 7

ख़ुदा ने मुँह में ज़बान दी है तो शुक्र ये है कि मुँह से बोलो

कि कुछ दिनों में मुँह रहेगा मुँह में चलती ज़बाँ रहेगी

शब-ए-फ़िराक़ का छाया हुआ है रोब ऐसा

बुला बुला के थके हम क़ज़ा नहीं आई

हम रो रो अश्क बहाते हैं वो तूफ़ाँ बैठे उठाते हैं

यूँ हँस हँस कर फ़रमाते हैं क्यूँ मर्द का नाम डुबोता है

'शहबाज़' में ऐब ही नहीं कुल

एक आध कोई हुनर भी होगा

अंजाम ख़ुशी का दुनिया में सच कहते हो ग़म होता है

साबित है गुल और शबनम से जो हँसता है वो रोता है

रुबाई 15

पुस्तकें 16

"कोलकाता" के और शायर

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