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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Shabnam Rumani's Photo'

शबनम रूमानी

1928 - 2009 | पाकिस्तान

ग़ज़ल और नात के मशहूर शाइरों में शुमार, और अफ़साने भी लिखे, काॅलमनिस्ट के तौर पर भी जाने जाते हैं

ग़ज़ल और नात के मशहूर शाइरों में शुमार, और अफ़साने भी लिखे, काॅलमनिस्ट के तौर पर भी जाने जाते हैं

शबनम रूमानी के शेर

ज़िंदगी ख़्वाब देखती है मगर

ज़िंदगी ज़िंदगी है ख़्वाब नहीं

मुझे ये ज़ोम कि मैं हुस्न का मुसव्विर हूँ

उन्हें ये नाज़ कि तस्वीर तो हमारी है

तेरी ताबिश से रौशन हैं गुल भी और वीराने भी

क्या तू भी इस हँसती-गाती दुनिया का मज़दूर है चाँद?

अपनी मजबूरी को हम दीवार-ओ-दर कहने लगे

क़ैद का सामाँ किया और उस को घर कहने लगे

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