शाहिद मीर के दोहे
ज़ेहन में तू आँखों में तू दिल में तिरा वजूद
मेरा तो बस नाम है हर जा तू मौजूद
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तातीलें रुख़्सत हुईं खुले सभी स्कूल
सड़कों पर खिलने लगे प्यारे प्यारे फूल
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'शाहिद' लिखना है मुझे ये किस की तारीफ़
डरा डरा सा क़ाफ़िया सहमी हुई रदीफ़
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दर्द है दौलत की तरह ग़म ठहरा जागीर
अपनी इस जागीर में ख़ुश हैं 'शाहिद-मीर'
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