शेख़ क़ुद्रतुल्लाह क़ुदरत के शेर
रख न आँसू से वस्ल की उम्मीद
खारे पानी से दाल गलती नहीं
छलकने लगे अश्क-ए-गुलगूँ मिज़ा से
फिर आई है फ़स्ल-ए-बहार गरेबाँ
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
गए वो दिन कि बहते थे पड़े नाले इन आँखों से
सर-ए-मिज़्गाँ तलक इक अश्क अब आता है मुश्किल से
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड