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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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शारिक़ ईरायानी

1908 - 1986

शारिक़ ईरायानी

ग़ज़ल 3

 

अशआर 2

यही कि ज़ौक़-ए-नज़र मिरा सफ़-ए-गुल-रुख़ाँ से गुज़र गया

मैं तिरी तलाश में बार-हा मह-ओ-कहकशाँ से गुज़र गया

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कहीं दाम-ए-सब्ज़ा-ए-गुल मिला कहीं आरज़ू का चमन खिला

तिरे हुस्न को ये ख़बर भी है मैं कहाँ कहाँ से गुज़र गया

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