Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Siraj Alam Zakhmi's Photo'

सिरज आलम ज़ख़मी

1984 | सउदी अरब

सिरज आलम ज़ख़मी के शेर

697
Favorite

श्रेणीबद्ध करें

कोई शिकवा कोई गिला दे दे

मुझ को जीने का हौसला दे दे

बेवफ़ाई का मुझे इल्ज़ाम देता था वो शख़्स

मैं ने भी इतना किया बस उस को सच्चा कर दिया

इतना दूर जाओ कि जीना मुहाल हो

यूँ भी पास आओ कि दम ही निकल पड़े

ख़ुद को बचाऊँ जिस्म सँभालूँ कि रूह को

बिखरा हुआ है दर्द यहाँ से वहाँ तलक

तोड़े बग़ैर संग तराशे जाएँगे

वो दिल ही क्या जो टूट के पत्थर हो सके

दिल में तूफ़ान नहीं आँख में सैलाब नहीं

ऐसे जीने से तो बेहतर था कि मर ही जाते

वो इतनी शिद्दतों से सोचता है

कि जैसे मैं भी कोई मसअला हूँ

क्या हमसरी की हम से तमन्ना करे कोई

हम ख़ुद भी अपने क़द के बराबर हो सके

बिखरते टूटते लम्हों में ऐसा लगता है

मिरा गुमान है तू और तिरा क़यास हूँ मैं

दिल में रह रह के शोर उठता है

कोई रहता है इस मकान में क्या

सदा-ए-दिल को कहीं बारयाब होना था

मिरे सवाल का कुछ तो जवाब होना था

Recitation

बोलिए