सय्यद सरोश आसिफ़ की पैदाइश 11 जून, 1980 को रामपुर, उत्तर प्रदेश में हुई। शायरी उन्हें विरासत में मिली और घर के शायराना माहौल और किताबें पढ़ने के उनके शेरी ज़ौक़ को परवाज़ अता की। उनकी ग़ज़लों में सादगी, रवानी, नर्मगी, परत-दर-परत मानी-आफ़रीनी और वतन से दूरी के कर्ब की बहुत उम्दा मिसालें मिलती हैं। उनके सादा मगर याद हो जाने वाले अशआर दिल पर गहरा असर छोड़ जाते हैं। लगातार शायरी की मशक़ से उनके काव्य-कौशल में निखार आता गया। उन्होंने आपसी रिश्तों और सामाजिक व्यवस्था की टूटन को अपनी शायरी में सुंदरता से दर्शाया है। वतन की याद और मिट्टी की सुगंध उन्हें अपनी ओर आकर्षित करती है। उन्होंने छोटी-छोटी बहरों में लगातार ऐसे शेर कहे हैं जो हमारी सामूहिक स्मृति में सुरक्षित हैं। शेरों में किसी प्रकार की जोड़ और तर्कीबों से यथासंभव परहेज करते हैं, जो उनकी सरल अभिव्यक्ति की दलील है।
सय्यद सरोश आसिफ़ पेशे से अबूधाबी में बैंक अफसर हैं। हिन्दुस्तान और यू. ए. ई. की अदबी महफ़िलों की लगातार ज़ीनत बढ़ाते रहते हैं। पिछले कुछ बरसों की शेरी तारीख़ में उनका ज़िक्र और नाम काफ़ी अहमियत का हामिल है