तफ़ज़ील अहमद के शेर
क्या शय है खींच लेती है शब को सर-ए-फ़लक
फिर सुब्ह जोड़ती है दोबारा ज़मीन से
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
फ़ुरात-ए-चश्म पे है कर्बला की तुग़्यानी
दरून-ए-कूफ़ा-ए-दिल ईद करने आया हूँ
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड