तकमील रिज़वी लखनवी के शेर
दुनिया हमें फ़रेब पे देती रही फ़रेब
हम देखते रहे निगह-ए-ए'तिबार से
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हमें भी ग़ुंचा-ओ-गुल से बड़ी मोहब्बत थी
चमन में काश हमारा भी आशियाँ होता
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