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वाहिद प्रेमी

1938 - 1993 | मध्य प्रदेश, भारत

वाहिद प्रेमी

ग़ज़ल 12

अशआर 28

अँधेरों में उजाले ढूँढता हूँ

ये हुस्न-ए-ज़न है या दीवाना-पन है

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गुल ग़ुंचे आफ़्ताब शफ़क़ चाँद कहकशाँ

ऐसी कोई भी चीज़ नहीं जिस में तू हो

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दिलों में ज़ख़्म होंटों पर तबस्सुम

उसी का नाम तो ज़िंदा-दिली है

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मैं औरों को क्या परखूँ आइना-ए-आलम में

मुहताज-ए-शनासाई जब अपना ही चेहरा है

शब-ए-फ़िराक़ कई बार गोशा-ए-दिल से

उठी तो आह मगर आह बे-असर उट्ठी

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पुस्तकें 4

 

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