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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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ज़हीर अातिश

ज़हीर अातिश

दोहा 5

दामन-ए-सुब्ह पर फैल गए रंग बिरंगे फूल

इन की रौनक़ हर जगह घर हो या स्कूल

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करना हो तो यूँ करो जीवन का उपयोग

नाम तुम्हारा दोहराएँ आने वाले लोग

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जेबें ख़ाली हो गईं चुप है अब इंसान

बिन पानी के जिस तरह मछली हो बे-जान

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देख के बिस्तर गया हमें नींद का ध्यान

ग़ाएब है तलवार कहीं बची है ख़ाली म्यान

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सड़ी-गली इक लाश को नोच रही है चील

अब तो शहर में रहने की राय करो तब्दील

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