ज़ैनुल आब्दीन ख़ाँ आरिफ़
ग़ज़ल 42
अशआर 16
आप को ख़ून के आँसू ही रुलाना होगा
हाल-ए-दिल कहने को हम अपना अगर बैठ गए
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तुम अपनी ज़ुल्फ़ से पूछो मिरी परेशानी
कि हाल उस को है मालूम हू-ब-हू मेरा
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न आए सामने मेरे अगर नहीं आता
मुझे तो उस के सिवा कुछ नज़र नहीं आता
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तेरे कहने से मैं अब लाऊँ कहाँ से नासेह
सब्र जब इस दिल-ए-मुज़्तर को ख़ुदा ने न दिया
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कर दिया तीरों से छलनी मुझे सारा लेकिन
ख़ून होने के लिए उस ने जिगर छोड़ दिया
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