ज़िया जालंधरी
ग़ज़ल 39
नज़्म 28
अशआर 25
इतना सोचा तुझे कि दुनिया को
हम ने तेरी निगाह से देखा
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
'ज़िया' वो ज़िंदगी क्या ज़िंदगी है
जिसे ख़ुद मौत भी ठुकरा गई हो
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
तू कोई सूखा हुआ पत्ता नहीं है कि जिसे
जिस तरफ़ मौज-ए-हवा चाहे उड़ा कर ले जाए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
वक़्त बे-मेहर है इस फ़ुर्सत-ए-कमयाब में तुम
मेरी आँखों में रहो ख़्वाब-ए-मुजस्सम की तरह
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
वो शाख़ बने-सँवरे वो शाख़ फले-फूले
जिस शाख़ पे धूप आए जिस शाख़ को नम पहुँचे
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
गीत 1
पुस्तकें 5
वीडियो 8
This video is playing from YouTube