Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Zia Jalandhari's Photo'

अग्रणी आधुनिक पाकिस्तानी शायरों में विख्यात।

अग्रणी आधुनिक पाकिस्तानी शायरों में विख्यात।

ज़िया जालंधरी

ग़ज़ल 39

नज़्म 28

अशआर 25

इतना सोचा तुझे कि दुनिया को

हम ने तेरी निगाह से देखा

'ज़िया' वो ज़िंदगी क्या ज़िंदगी है

जिसे ख़ुद मौत भी ठुकरा गई हो

तू कोई सूखा हुआ पत्ता नहीं है कि जिसे

जिस तरफ़ मौज-ए-हवा चाहे उड़ा कर ले जाए

वक़्त बे-मेहर है इस फ़ुर्सत-ए-कमयाब में तुम

मेरी आँखों में रहो ख़्वाब-ए-मुजस्सम की तरह

वो शाख़ बने-सँवरे वो शाख़ फले-फूले

जिस शाख़ पे धूप आए जिस शाख़ को नम पहुँचे

गीत 1

 

पुस्तकें 5

 

वीडियो 8

This video is playing from YouTube

वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

ज़िया जालंधरी

ज़िया जालंधरी

ज़िया जालंधरी

हाबील

अव्वलीं ज़ाइक़ा-ए-ख़ूँ से थी लब-तल्ख़ वो ख़ाक ज़िया जालंधरी

आँखों में निहाँ है जो मुनाजात वो तुम हो

ज़िया जालंधरी

ख़ुद को समझा है फ़क़त वहम-ओ-गुमाँ भी हम ने

ज़िया जालंधरी

तुम्हारी चाहत की चाँदनी से हर इक शब-ए-ग़म सँवर गई है

ज़िया जालंधरी

मुंजमिद होंटों पे है यख़ की तरह हर्फ़-ए-जुनूँ

ज़िया जालंधरी

शहर-ए-आशोब

वही सदा जो मिरे ख़ूँ में सरसराती थी ज़िया जालंधरी

"इस्लामाबाद" के और शायर

Recitation

बोलिए