Zia Jalandhari's Photo'

अग्रणी आधुनिक पाकिस्तानी शायरों में विख्यात।

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ज़िया जालंधरी

ग़ज़ल 39

नज़्म 28

अशआर 25

बुरा मान 'ज़िया' उस की साफ़-गोई का

जो दर्द-मंद भी है और बे-अदब भी नहीं

रंग बातें करें और बातों से ख़ुश्बू आए

दर्द फूलों की तरह महके अगर तू आए

हिम्मत है तो बुलंद कर आवाज़ का अलम

चुप बैठने से हल नहीं होने का मसअला

इश्क़ में भी कोई अंजाम हुआ करता है

इश्क़ में याद है आग़ाज़ ही आग़ाज़ मुझे

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ये आँसू ये पशेमानी का इज़हार

मुझे इक बार फिर बहका गई हो

गीत 1

 

पुस्तकें 4

 

वीडियो 10

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

ज़िया जालंधरी

ज़िया जालंधरी

ज़िया जालंधरी

हाबील

अव्वलीं ज़ाइक़ा-ए-ख़ूँ से थी लब-तल्ख़ वो ख़ाक ज़िया जालंधरी

आँखों में निहाँ है जो मुनाजात वो तुम हो

ज़िया जालंधरी

ख़ुद को समझा है फ़क़त वहम-ओ-गुमाँ भी हम ने

ज़िया जालंधरी

तुम्हारी चाहत की चाँदनी से हर इक शब-ए-ग़म सँवर गई है

ज़िया जालंधरी

मुंजमिद होंटों पे है यख़ की तरह हर्फ़-ए-जुनूँ

ज़िया जालंधरी

शहर-ए-आशोब

वही सदा जो मिरे ख़ूँ में सरसराती थी ज़िया जालंधरी

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