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नज़्म
माँ तिरे जाने के बा'द
किस की बातों में सुनूँगी तेरे लहजे की खनक
किस सितारे में बसेगी तेरी आँखों की चमक
शहनाज़ परवीन शाज़ी
ग़ज़ल
वाहिमा ख़ल्लाक़ आज़ादी का हुस्न-अफ़ज़ा सुरूर
हर फ़रेब-ए-रंग का पहले गुलिस्ताँ नाम था
आसी उल्दनी
ग़ज़ल
कितनी ख़ल्लाक़ है ये नीस्ती-ए-इश्क़ 'फ़िराक़'
उस से हस्ती है 'इबारत मुझे मा'लूम न था
फ़िराक़ गोरखपुरी
नज़्म
रोज़ा-ख़ोर से इंटरव्यू
मैं हूँ शायर मेहरबाँ है मुझ पे ख़ल्लाक़-ए-अज़ल
पेश करनी है मुझे महफ़िल में इक ताज़ा ग़ज़ल
खालिद इरफ़ान
ग़ज़ल
गुल-ए-वीराना हूँ कोई नहीं है क़द्र-दाँ मेरा
तू ही देख ऐ मिरे ख़ल्लाक़ हुस्न-ए-राएगाँ मेरा
जगत मोहन लाल रवाँ
ग़ज़ल
हम को ये ग़म ही न ले डूबे कहीं ख़ल्लाक़-ए-ख़ल्क़
बे-ज़मीरों पर रहेगी ताज-दारी कब तलक