aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "antar"
अनवर शऊर
born.1943
शायर
अनवर मसूद
born.1935
फ़ैज़ अनवर
born.1965
अनवर जलालपुरी
1947 - 2018
पाश
1950 - 1988
अनवर मिर्ज़ापुरी
अनवर देहलवी
1847 - 1885
सहर अंसारी
born.1939
मसरूर अनवर
1941 - 1996
तस्लीम फ़ाज़ली
1947 - 1982
अनवर साबरी
1901 - 1985
अनवर सदीद
1928 - 2016
राम अवतार गुप्ता मुज़्तर
born.1936
सरफ़राज़ ख़ालिद
born.1980
जावेद अनवर
सुना है रात उसे चाँद तकता रहता हैसितारे बाम-ए-फ़लक से उतर के देखते हैं
आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखाकश्ती के मुसाफ़िर ने समुंदर नहीं देखा
ज़रा फ़ुर्सत मिले क़िस्मत की चौसर से तो सोचूँगाकि ख़्वाहिश और हासिल का ये अंतर क्यूँ नहीं जाता
अगर यक तिल पड़े अंतर पिया सूँनयन जल सूँ सपत समदर भराती
फिर तीसरी बार ऐसे हुआ। इससे पहले भी दोबार और ऐसे हुआ था... बिल्कुल ऐसे। जब मेरा बायां पांव बाँस की सीढ़ी के आख़िरी डंडे पर था और मेरा दायाँ पैर सेहन की कच्ची मिट्टी से छः इंच ऊंचा था तो पीछे से माँ ने मेरे बाल ऐसे पकड़े जैसे नए नए चूज़े पर चील झपटती है। मेरा तवाज़ुन बुरी तरह बिगड़ा और मैं कपड़े की गड्डी की मानिंद अड़ंग बड़ंग कच्ची मिट्टी पर जा गिरी।माँ को मुझे पटख़नी देने या धप्पा मारने की नौबत ही न आई क्योंकि जब इंसान किसी से बिछड़ कर आ रहा हो तो उसमें इतनी जान ही कहाँ होती है। मुझे तो एक गर्म सांस उस वक़्त चारों शाने गिरा सकता था। माँ ने तो फिर हबका मार कर मेरे बाल झिंझोड़े थे।
किताब को मर्कज़ में रख कर की जाने वाली शायरी के बहुत से पहलू हैं। किताब महबूब के चेहरे की तशबीह में भी काम आती है और आम इंसानी ज़िंदगी में रौशनी की एक अलामत के तौर पर भी। किताब के इस हैरत-कदे में दाख़िल होइए और लुत्फ उठाइये।
मुस्कुराहट को हम इंसानी चेहरे की एक आम सी हरकत समझ कर आगे बढ़ जाते हैं लेकिन हमारे इन्तिख़ा कर्दा इन अशआर में देखिए कि चेहरे का ये ज़रा सा बनाव किस क़दर मानी-ख़ेज़ी लिए हुए है। इश्क़-ओ-आशिक़ी के बयानिए में इस की कितनी जहतें हैं और कितने रंग हैं। माशूक़ मुस्कुराता है तो आशिक़ उस से किन किन मानी तक पहुँचता है। शायरी का ये इन्तिख़ाब एक हैरत कदे से कम नहीं इस में दाख़िल होइये और लुत्फ़ लीजिए।
अंतरانتر
difference
इंटरانٹر
inter
Urdu Adab Ki Tahreekein
इतिहास
Urdu Adab Ki Mukhtasar Tareekh
Kulliyat-e-Anwar Shaoor
कुल्लियात
साहित्यिक आंदोलन
अनार कली
सय्यद इम्तियाज़ अली ताज
रोमांनवी
Pand Nama-e-Attar Mutarjim
शैख़ फ़रीदुद्दीन अत्तार
मसनवी
Haveli Ke Andar
रमा मेहता
नॉवेल / उपन्यास
उर्दू में ख़ुदनाविश्त और सवानेह हयात
सबीहा अनवर
आत्मकथा
इंकार
परवीन शाकिर
काव्य संग्रह
शीशे की चट
सिराज अनवर
रोमांटिक
Hind-o-Pak Mein Urdu Novel
अनवर पाशा
नॉवेल / उपन्यास तन्क़ीद
Shahkar-e-Aruz-o-Balaghat
अनवर मीनाई
छंदशास्र
Pakistan Mein Adabi Rasail Ki Tareekh
Urdu Adab ki Tahreekein
अहमक़ थे मियाँ छछूंदर भीपढ़ते थे अंतर-मंतर भी
न पल छन कान युगों युगों के अंतर का
जो काटे मर्हब-ओ-अंतर के सर कोउसी कर्रार सा जासिम अता कर
निभाई है मोहब्बत उम्र-भर 'आतिश'मोहब्बत में कभी अंतर नहीं आया
कौन क़तरे में उठाता है तलातुमऔर अंतर-आत्मा तक सींचता है
लोगों ने आकाश से ऊँचा जा कर तमग़े पाएहम ने अपना अंतर खोजा दीवाने कहलाए
अंतर मंतर छू-मंतरकाल कलन्तर छू-मंतर
घोर अंधकार था अज्ञान का जारी हर-सूज्ञान अज्ञान के अंतर को मिटाता आया
फ़र्क़ कुछ भी नहीं एहसास-ए-तशख्ख़ुस के सिवादरमियाँ अपने ये अंतर भी बहुत लगता है
हमारे ही अंतर से सुलगना चाहता हैहम सूरज को
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