aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "antar"
अनवर शऊर
शायर
अनवर मसूद
फ़ैज़ अनवर
अनवर जलालपुरी
1947 - 2018
पाश
1950 - 1988
अनवर देहलवी
1847 - 1885
अनवर मिर्ज़ापुरी
सहर अंसारी
मसरूर अनवर
1941 - 1996
अनवर साबरी
1901 - 1985
तस्लीम फ़ाज़ली
1947 - 1982
अनवर सदीद
1928 - 2016
राम अवतार गुप्ता मुज़्तर
जावेद अनवर
अनवार अंजुम
1942 - 1967
सुना है रात उसे चाँद तकता रहता हैसितारे बाम-ए-फ़लक से उतर के देखते हैं
आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखाकश्ती के मुसाफ़िर ने समुंदर नहीं देखा
अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूँअब मैं अक्सर मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूँ
कहा मैं ने बात वो कोठे की मिरे दिल से साफ़ उतर गईतो कहा कि जाने मिरी बला तुम्हें याद हो कि न याद हो
दुनिया की निगाहों में भला क्या है बुरा क्याये बोझ अगर दिल से उतर जाए तो अच्छा
किताब को मर्कज़ में रख कर की जाने वाली शायरी के बहुत से पहलू हैं। किताब महबूब के चेहरे की तशबीह में भी काम आती है और आम इंसानी ज़िंदगी में रौशनी की एक अलामत के तौर पर भी। किताब के इस हैरत-कदे में दाख़िल होइए और लुत्फ उठाइये।
मुस्कुराहट को हम इंसानी चेहरे की एक आम सी हरकत समझ कर आगे बढ़ जाते हैं लेकिन हमारे इन्तिख़ा कर्दा इन अशआर में देखिए कि चेहरे का ये ज़रा सा बनाव किस क़दर मानी-ख़ेज़ी लिए हुए है। इश्क़-ओ-आशिक़ी के बयानिए में इस की कितनी जहतें हैं और कितने रंग हैं। माशूक़ मुस्कुराता है तो आशिक़ उस से किन किन मानी तक पहुँचता है। शायरी का ये इन्तिख़ाब एक हैरत कदे से कम नहीं इस में दाख़िल होइये और लुत्फ़ लीजिए।
अंतरانتر
difference
इंटरانٹر
inter
Urdu Adab Ki Tahreekein
2004इतिहास
Urdu Adab Ki Mukhtasar Tareekh
1991इतिहास
2014इतिहास
Kulliyat-e-Anwar Shaoor
2015कुल्लियात
1985साहित्यिक आंदोलन
अनार कली
सय्यद इम्तियाज़ अली ताज
2011ऐतिहासिक
Haveli Ke Andar
रमा मेहता
1995नॉवेल / उपन्यास
Anar Kali
1941रोमांनवी
उर्दू में ख़ुदनाविश्त और सवानेह हयात
सबीहा अनवर
1982आत्मकथा
Hind-o-Pak Mein Urdu Novel
अनवर पाशा
1992नॉवेल / उपन्यास
Pand Nama-e-Attar Mutarjim
शैख़ फ़रीदुद्दीन अत्तार
सूफ़ीवाद / रहस्यवाद
Pakistan Mein Adabi Rasail Ki Tareekh
1992इतिहास
शीशे की चट
सिराज अनवर
Urdu Adab ki Tahreekein
1983साहित्यिक आंदोलन
इंकार
परवीन शाकिर
काव्य संग्रह
आँख से दूर न हो दिल से उतर जाएगावक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा
मुस्तक़िल बोलता ही रहता हूँकितना ख़ामोश हूँ मैं अंदर से
वो एक ही चेहरा तो नहीं सारे जहाँ मेंजो दूर है वो दिल से उतर क्यूँ नहीं जाता
ज़रा फ़ुर्सत मिले क़िस्मत की चौसर से तो सोचूँगाकि ख़्वाहिश और हासिल का ये अंतर क्यूँ नहीं जाता
कोई फ़रियाद तिरे दिल में दबी हो जैसेतू ने आँखों से कोई बात कही हो जैसे
इक हुनर है जो कर गया हूँ मैंसब के दिल से उतर गया हूँ मैं
हम तो समझे थे कि इक ज़ख़्म है भर जाएगाक्या ख़बर थी कि रग-ए-जाँ में उतर जाएगा
क़ुर्बत भी नहीं दिल से उतर भी नहीं जातावो शख़्स कोई फ़ैसला कर भी नहीं जाता
निय्यत-ए-शौक़ भर न जाए कहींतू भी दिल से उतर न जाए कहीं
Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi
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