चराग़ पर चित्र/छाया शायरी

रौशनी ज़िन्दगी की अलामत

है और चिराग़ रौशनी की। चिराग, दुनिया में जो कुछ अच्छा और सकारात्मक है उसके प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल होता रहा है। उर्दू शायरों ने भी अलग-अलग नामों से और मुख़्तलिफ़ लफ़्ज़ों और आलामात-ओ-तश्बीहात के सहारे कायनात के रौशन पहलू को दिखाने की कोशिश की है। चिराग़ और हवा के रिश्ते ने उम्मीद और नाउम्मीदी, रौशनी और अंधेरे की एक दिलचस्प तारीख़ तैयार की है जिसे हम चिराग़ शायरी के तहत यहाँ पेश कर रहे हैं।

शहर के अंधेरे को इक चराग़ काफ़ी है

रात तो वक़्त की पाबंद है ढल जाएगी

रात को जीत तो पाता नहीं लेकिन ये चराग़

शब-ए-विसाल है गुल कर दो इन चराग़ों को

Jashn-e-Rekhta | 2-3-4 December 2022 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate, New Delhi

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