ख़ुदारा इक निगाह-ए-नाज़ ही से देख लो हम को
गरेबाँ फाड़ने को आज हम तय्यार बैठे हैं
चुप चुप मकान रास्ते गुम-सुम निढाल वक़्त
इस शहर के लिए कोई दीवाना चाहिए
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
ख़ुदारा इक निगाह-ए-नाज़ ही से देख लो हम को
गरेबाँ फाड़ने को आज हम तय्यार बैठे हैं
चुप चुप मकान रास्ते गुम-सुम निढाल वक़्त
इस शहर के लिए कोई दीवाना चाहिए