इमदाद अली बहर की टॉप 20 शायरी
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बनावट वज़्अ'-दारी में हो या बे-साख़्ता-पन में
हमें अंदाज़ वो भाता है जिस में कुछ अदा निकले
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टैग : अदा
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ख़्वाहिश-ए-दीदार में आँखें भी हैं मेरी रक़ीब
सात पर्दों में छुपा रक्खा है उस के नूर को
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तलाश-ए-यार में गर्दिश को मैं तौफ़-ए-हरम समझूँ
करूँ चारों-तरफ़ सज्दे कि वो हर-सू निकलते हैं
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