हमने क्या खोया हमने क्या पाया?
हम हमेशा चाहते हैं कि हमारे माल-ओ-दौलत और दूसरी चीज़ों में हमेशा नफ़ा और फ़ायदा हो। अगर किसी चीज़ में नुक़्सान होता है तो हम दूसरी चीज़ों से फ़ायदे की उम्मीद लगा लेते हैं और इस तरह नफ़ा, नुक़्सान पर मुन्हसिर ज़िंदगी की गाड़ी चलती रहती है।इस मौज़ू पर कुछ अशआर का इंतिख़ाब किया गया है। पढ़िएऔर लुत्फ़ लीजिए।
इश्क़ में क्या नुक़सान नफ़अ है हम को क्या समझाते हो
हम ने सारी उम्र ही यारो दिल का कारोबार किया
पहली साँस पे मैं रोया था आख़िरी साँस पे दुनिया
इन साँसों के बीच में हम ने क्या खोया क्या पाया
ज़ियान-ए-दिल ही इस बाज़ार में सूद-ए-मोहब्बत है
यहाँ है फ़ाएदा ख़ुद को अगर नुक़सान में रख लें