न हारा है इश्क़ और दुनिया थकी है: ख़ुमार बाराबंकवी
ख़ुमार बाराबंकवी की शायरी अपनी दिलकश धुनों और जज़बाती गहराई के लिए मशहूर है। क्लासिकी उस्लूब और सुरीली आवाज़ के साथ, उनके अशआर सामईन के दिलों पर गहरा असर छोड़ते हैं। पढ़िए और लुत्फ़ लीजिए।
भूले हैं रफ़्ता रफ़्ता उन्हें मुद्दतों में हम
क़िस्तों में ख़ुद-कुशी का मज़ा हम से पूछिए
मोहब्बत को समझना है तो नासेह ख़ुद मोहब्बत कर
किनारे से कभी अंदाज़ा-ए-तूफ़ाँ नहीं होता
ये वफ़ा की सख़्त राहें ये तुम्हारे पाँव नाज़ुक
न लो इंतिक़ाम मुझ से मिरे साथ साथ चल के
कहीं शेर ओ नग़्मा बन के कहीं आँसुओं में ढल के
वो मुझे मिले तो लेकिन कई सूरतें बदल के