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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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आदिल राही के शेर

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तिश्नगी तुझे दरिया के हवाले कर दूँ

तुझ को इस हाल में प्यासा नहीं देखा जाता

तुम्हारे बाद ये ग़म भी उठाना पड़ता है

ख़ुशी मिले मिले मुस्कुराना पड़ता है

तुम मिरा नाम-ओ-नसब पूछ रहे हो सब से

इश्क़ हो जाए तो शजरा नहीं देखा जाता

उम्र-भर उन से त'अल्लुक़ नहीं टूटा करता

ऐसे कुछ लोग हैं जो दिल में उतर जाते हैं

उन्हें यक़ीं कि कोई रंज-ओ-ग़म नहीं मुझ को

मुझे भरम कि मिरा मसअला समझते हैं

बस इक यही तो ख़राबी है उस की फ़ितरत में

वो मुझ को याद तो करता है पर ज़रूरत में

सब को दिल का राज़ बताना ठीक नहीं

दुनिया-दारी दुनिया-दारी होती है

तुम अपनी तबाही का मातम तो कर लो

मिरे हाल पर मुस्कुराने से पहले

तुम्हारे ग़म की उदासी क़लील करते हुए

मैं जी रहा हूँ मोहब्बत तवील करते हुए

पता कैसे हों आख़िर हिज्र के अस्बाब दुनिया को

तिरे होंटों पे ख़ामोशी मिरे हालात पोशीदा

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