अब्बास ताबिश की टॉप 20 शायरी
ये मोहब्बत की कहानी नहीं मरती लेकिन
लोग किरदार निभाते हुए मर जाते हैं
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एक मुद्दत से मिरी माँ नहीं सोई 'ताबिश'
मैं ने इक बार कहा था मुझे डर लगता है
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जिस से पूछें तिरे बारे में यही कहता है
ख़ूबसूरत है वफ़ादार नहीं हो सकता
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मसरूफ़ हैं कुछ इतने कि हम कार-ए-मोहब्बत
आग़ाज़ तो कर लेते हैं जारी नहीं रखते
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झोंके के साथ छत गई दस्तक के साथ दर गया
ताज़ा हवा के शौक़ में मेरा तो सारा घर गया
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मोहब्बत एक दम दुख का मुदावा कर नहीं देती
ये तितली बैठती है ज़ख़्म पर आहिस्ता आहिस्ता
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बोलता हूँ तो मिरे होंट झुलस जाते हैं
उस को ये बात बताने में बड़ी देर लगी
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मेरे सीने से ज़रा कान लगा कर देखो
साँस चलती है कि ज़ंजीर-ज़नी होती है
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मैं जिस सुकून से बैठा हूँ इस किनारे पर
सुकूँ से लगता है मेरा क़याम आख़िरी है
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ये ज़िंदगी कुछ भी हो मगर अपने लिए तो
कुछ भी नहीं बच्चों की शरारत के अलावा
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टैग : बचपन
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तुम माँग रहे हो मिरे दिल से मिरी ख़्वाहिश
बच्चा तो कभी अपने खिलौने नहीं देता
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एक मोहब्बत और वो भी नाकाम मोहब्बत
लेकिन इस से काम चलाया जा सकता है
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मैं उसे देख के लौटा हूँ तो क्या देखता हूँ
शहर का शहर मुझे देखने आया हुआ है
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वक़्त लफ़्ज़ों से बनाई हुई चादर जैसा
ओढ़ लेता हूँ तो सब ख़्वाब हुनर लगता है
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उन आँखों में कूदने वालो तुम को इतना ध्यान रहे
वो झीलें पायाब हैं लेकिन उन की तह पथरीली है
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पस-ए-ग़ुबार भी उड़ता ग़ुबार अपना था
तिरे बहाने हमें इंतिज़ार अपना था
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टैग : बहाना
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ये तो अब इश्क़ में जी लगने लगा है कुछ कुछ
इस तरफ़ पहले-पहल घेर के लाया गया मैं
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'ताबिश' जो गुज़रती ही नहीं शाम की हद से
सोचें तो वहीं रात सहर-ख़ेज़ बहुत है
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