Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

अफ़ज़ल मिनहास के शेर

2K
Favorite

श्रेणीबद्ध करें

जिन पत्थरों को हम ने अता की थीं धड़कनें

उन को ज़बाँ मिली तो हमीं पर बरस पड़े

दिल की मस्जिद में कभी पढ़ ले तहज्जुद की नमाज़

फिर सहर के वक़्त होंटों पर दुआ भी आएगी

अपनी बुलंदियों से गिरूँ भी तो किस तरह

फैली हुई फ़ज़ाओं में बिखरा हुआ हूँ मैं

चाँद में कैसे नज़र आए तिरी सूरत मुझे

आँधियों से आसमाँ का रंग मैला हो गया

दर्द ज़ंजीर की सूरत है दिलों में मौजूद

इस से पहले तो कभी इस के ये पैराए थे

उजली उजली ख़्वाहिशों पर नींद की चादर डाल

याद के रौज़न से कुछ ताज़ा हवा भी आएगी

वो दौर अब कहाँ कि तुम्हारी हो जुस्तुजू

इस दौर में तो हम को ख़ुद अपनी तलाश है

ये भी शायद ज़िंदगी की इक अदा है दोस्तो

जिस को साथी मिल गया वो और तन्हा हो गया

क्या फ़ैसला दिया है अदालत ने छोड़िए

मुजरिम तो अपने जुर्म का इक़बाल कर गया

इंसान बे-हिसी से है पत्थर बना हुआ

मुँह में ज़बान भी है लहू भी रगों में है

एक ही फ़नकार के शहकार हैं दुनिया के लोग

कोई बरतर किस लिए है कोई कम-तर किस लिए

हवा के फूल महकने लगे मुझे पा कर

मैं पहली बार हँसा ज़ख़्म को छुपाए हुए

ज़िंदगी की ज़ुल्मतें अपने लहू में रच गईं

तब कहीं जा कर हमें आँखों की बीनाई मिली

तुझ को सुकूँ नहीं है तो मिट्टी में डूब जा

आबाद इक जहान ज़मीं की तहों में है

बिखरे हुए हैं दिल में मिरी ख़्वाहिशों के रंग

अब मैं भी इक सजा हुआ बाज़ार हो गया

ज़िंदगी इतनी परेशाँ है ये सोचा भी था

उस के अतराफ़ में शोलों का समुंदर देखा

लोग मेरी मौत के ख़्वाहाँ हैं 'अफ़ज़ल' किस लिए

चंद ग़ज़लों के सिवा कुछ भी नहीं सामान में

सत्ह-ए-दरिया पर उभरने की तमन्ना ही नहीं

अर्श पर पहुँचे हुए हैं जब से गहराई मिली

रस्ते में कोई पेड़ जो मिल जाए तो बैठूँ

वो बार उठाया है कि दिखने लगे शाने

जाने ये हिद्दत चमन को रास आए या नहीं

आग जैसी कैफ़ियत है ख़ुशबुओं की लहर में

अपने माहौल से कुछ यूँ भी तो घबराए थे

संग लिपटे हुए फूलों में नज़र आए थे

बिखरते जिस्म ले कर तुंद तूफ़ानों में बैठे हैं

कोई ज़र्रे की सूरत है कोई टीले की सूरत है

गिर पड़ा तू आख़िरी ज़ीने को छू कर किस लिए

गया फिर आसमानों से ज़मीं पर किस लिए

Recitation

बोलिए