Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

अजय सहाब के शेर

1.5K
Favorite

श्रेणीबद्ध करें

काश लौटें मिरे पापा भी खिलौने ले कर

काश फिर से मिरे हाथों में ख़ज़ाना आए

हादसे जान तो लेते हैं मगर सच ये है

हादसे ही हमें जीना भी सिखा देते हैं

हर ख़ुदा जन्नतों में है महदूद

कोई संसार तक नहीं पहुँचा

जम्हूरियत की लाश पे ताक़त है ख़ंदा-ज़न

इस बरहना निज़ाम में हर आदमी की ख़ैर

जब भी मिलते हैं तो जीने की दुआ देते हैं

जाने किस बात की वो हम को सज़ा देते हैं

शायद ज़बाँ पे क़र्ज़ था हम ने चुका दिया

ख़ामोश हो गए हैं तुझे हम पुकार के

पेड़ को अपना ही साया नहीं मिलता लोगो

फ़स्ल अपनी कभी पाते नहीं बोने वाले

चारा-गर सब के पास जाता था

सिर्फ़ बीमार तक नहीं पहुँचा

ऐसे सुलग उठा तिरी यादों से दिल मिरा

जैसे धधक उठें कहीं जंगल चिनार के

इक बंद हो गया है तो खोलेंगे बाब और

उभरेंगे अपनी रात से सौ आफ़्ताब और

हर आदमी के क़द से उस की क़बा बड़ी है

सूरज पहन के निकले धुँदले चराग़ यारो

फ़न जो मेआ'र तक नहीं पहुँचा

अपने शहकार तक नहीं पहुँचा

वो रेत पर इक निशान जैसा था मोम के इक मकान जैसा

बड़ा सँभल कर छुआ था मैं ने एक पल में बिखर गया वो

एक मुद्दत से धधकता रहा मेरा ये ज़ेहन

तब कहीं जा के फ़रोज़ाँ हुए लफ़्ज़ों के चराग़

किस ने बेचा नहीं सुख़न अपना

कौन बाज़ार तक नहीं पहुँचा

यूँ अबस किसी को सदा दो दिल-ए-ज़ार को ये बता भी दो

कभी अब आएँगे लौट कर वो जो एक बार चले गए

Recitation

बोलिए