अमित शर्मा मीत के शेर
दिसम्बर की सर्दी है उस के ही जैसी
ज़रा सा जो छू ले बदन काँपता है
-
टैग : सर्दी
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
रात-भर ख़्वाब में जलना भी इक बीमारी है
इश्क़ की आग से बचने में समझदारी है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
रात बेचैन सी सर्दी में ठिठुरती है बहुत
दिन भी हर रोज़ सुलगता है तिरी यादों से
-
टैग : सर्दी
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
पुरानी देख कर तस्वीर तेरी
नया हर दिन गुज़रता जा रहा है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
तेरी सूरत तेरी चाहत यादें सब
छोटे से इस दिल में क्या क्या रक्खूँगा
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
सच कहने का आख़िर ये अंजाम हुआ
सारी बस्ती में मैं ही बदनाम हुआ
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
यूँ मुलाक़ात का ये दौर बनाए रखिए
मौत कब साथ निभा जाए भरोसा क्या है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
कई दिन से शरारत ही नहीं की
मिरे अंदर का बच्चा लापता है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मैं कहानी में नया मोड़ भी ला सकता था
मैं ने किरदार को आँसू में भिगोया ही नहीं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ग़लत-फ़हमियाँ 'मीत' रक्खो न दिल में
वही सच नहीं जितना तुम ने सुना है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मैं जितनी और पीता जा रहा हूँ
नशा उतना उतरता जा रहा है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
इक तरफ़ प्यार है रिश्ता है वफ़ादारी है
और इन सब में ही उस ग़म की तरफ़-दारी है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
रातें सारी करवट में ही बीत रहीं
यादें भी कितनी बेचैनी देती हैं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
हिज्र के बा'द ये सोचो कि कहाँ जाओगे
हम तो मर जाएँगे वैसे भी हमारा क्या है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
लगाया है दिल भी तो पत्थर से मैं ने
मिरी ज़िंदगी की यही इक ख़ता है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
सोच रहा हूँ मैं इस का सौदा कर दूँ
उस की यादों का जो दिल में मलबा है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
शोर-शराबा रहता था जिस आँगन में
आज वहाँ से बस ख़ामोशी निकली है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
हिज्र के ग़म ने मुझे मार दिया था तो क्या
मर के जीना भी तो सीखा है तिरी यादों से
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
दिल टूटा तो 'मीत' समझ में ये आया
इश्क़ वफ़ा सब एक पहेली निकली है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ख़्वाब में उस से रोज़ मिला करता था 'मीत'
लेकिन सच में नहीं मिला सो ज़िंदा हूँ
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
हमारा हिज्र भी अब मसअला बन
ज़माने में उछलता जा रहा है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
दिखा था ख़्वाब में रोता हुआ दिल
कहूँ क्या अब तलक दहशत में हूँ मैं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ज़िंदगी का ये मिरी कौन है क़ातिल जाने
मैं हूँ मुश्किल में सज़ा दूँ तो सज़ा दूँ किस को
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
कल मेरे साए में उस की शक्ल दिखी
मंज़र ऐसे पस-मंज़र में आता है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड