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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

अरशद कमाल के शेर

मुझ को तलाश करते हो औरों के दरमियाँ

हैरान हो रहा हूँ तुम्हारे गुमान पर

वो आए तो लगा ग़म का मुदावा हो गया है

मगर ये क्या कि ग़म कुछ और गहरा हो गया है

कभी उन का नहीं आना ख़बर के ज़ैल में था

मगर अब उन का आना ही तमाशा हो गया है

वो ज़माने का तग़य्युर हो कि मौसम का मिज़ाज

बे-ज़रर दोनों हैं नैरंगी-ए-आदाम के सिवा

बिला-सबब तो कोई बर्ग भी नहीं हिलता

तू अपने आज पे असरात कल के देख ज़रा

ख़ाक-ए-सहरा तो बहुत दूर है वहशत-ए-दिल

क्यूँ ज़ेहनों पे जमी गर्द उड़ा दी जाए

ये माना सैल-ए-अश्क-ए-ग़म नहीं कुछ कम मगर 'अरशद'

ज़रा उतरा नहीं दरिया कि बंजर जाग उठता है

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