असर देहलवी का परिचय
काली चरण असर देहलवी काइस्थ बिरादरी से ताल्लुक़ रखते थे और गली आर्या समाज, बाज़ार सीताराम के रहने वाले थे। शुरू में जनाब श्याम लाल सहर की शागिर्दी इख़्तियार की लेकिन कुछ अर्से के बाद जनाब मुनव्वर लखनवी के हल्का-ए-तलामुज़ा में शामिल हो गए थे। असर देहलवी ने मुख़्तलिफ़ अस्नाफ़-ए-सुख़न में तब्अ-आज़माई की, ग़ज़ल और रुबाई ख़ूब कहते थे लेकिन कोई शेरी मजमूआ यादगार नहीं छोड़ा। 1978 में इंतिक़ाल हुआ।