मुझ को हर सम्त ले के जाता है
एक इम्कान तेरे होने का
अज़हर नवाज़18 जून 1995 को उतर प्रदेश के ऐतिहासिक शहर आज़मगढ़ में पैदा हुए। आपने जामिया मिलिया इस्लामिया से अंग्रेज़ी में एम.ए किया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से अंग्रेज़ी साहित्य में पी.एचडी. की है।
जहाँ तक उनकी शायरी का संबंध है वो बहुत सँभल कर शे’र कहते हैं। उनके अशआर की ज़बान सादा और रवानी से भरपूर है। रवाँ बहरों और परिचित शब्दावलियों के हवाले से उन्होंने जो शायराना सूरतें तराशी हैं उनमें समकालीन संवेदना भी है और कशिश भी, जिन्हें पढ़ कर मानी के नए दर खुलते हैं। उनके पसंदीदा शायरों में मिर्ज़ा ग़ालिब, मीर तक़ी मीर, दाग़ देहलवी, इरफ़ान सिद्दीक़ी, शकेब जलाली, अहमद फ़राज़, फ़रहत एहसास वग़ैरा के नाम शामिल हैं। रेख़्ता से प्रकाशित नस्ल-ए-नौ के चुनिन्दा कलाम के काव्य-संग्रह “क़ाफ़िला-ए-नौबहार” में उनकी प्रतिनिधि ग़ज़लें प्रकाशित हो चुकी हैं।