Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

बक़ा बलूच के शेर

1.3K
Favorite

श्रेणीबद्ध करें

ज़िंदगी से ज़िंदगी रूठी रही

आदमी से आदमी बरहम रहा

गर्मी-ए-शिद्दत-ए-जज़्बात बता देता है

दिल तो भूली हुई हर बात बता देता है

जिस्म अपने फ़ानी हैं जान अपनी फ़ानी है फ़ानी है ये दुनिया भी

फिर भी फ़ानी दुनिया में जावेदाँ तो मैं भी हूँ जावेदाँ तो तुम भी हो

एक उलझन रात दिन पलती रही दिल में कि हम

किस नगर की ख़ाक थे किस दश्त में ठहरे रहे

मैं किनारे पे खड़ा हूँ तो कोई बात नहीं

बहता रहता है तिरी याद का दरिया मुझ में

तू ख़ुश है अपनी दुनिया में

मैं तिरी याद में जलता हूँ

कैसा लम्हा आन पड़ा है

हँसता घर वीरान पड़ा है

अम्न के सारे सपने झूटे

सपनों की ताबीरें झूटी

सिर्फ़ मौसम के बदलने ही पे मौक़ूफ़ नहीं

दर्द भी सूरत-ए-हालात बता देता है

हम ने जिन को सच्चा जाना

निकलीं वो सब बातें झूटी

हर कूचे में अरमानों का ख़ून हुआ

शहर के जितने रस्ते हैं सब ख़ूनीं हैं

लोग चले हैं सहराओं को

और नगर सुनसान पड़ा है

दर्द उट्ठा था मिरे पहलू में

आख़िर-ए-कार जिगर तक पहुँचा

Recitation

बोलिए