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दिल अय्यूबी

1929

टोंक के प्रसिद्ध शायर, अपने नातिया कलाम के लिए भी पहचाने जाते हैं

टोंक के प्रसिद्ध शायर, अपने नातिया कलाम के लिए भी पहचाने जाते हैं

दिल अय्यूबी के शेर

ये राह-ए-इश्क़ है आख़िर कोई मज़ाक़ नहीं

सऊबतों से जो घबरा गए हों घर जाएँ

फ़रिश्ता है तो तक़द्दुस तुझे मुबारक हो

हम आदमी हैं तो ऐब-ओ-हुनर भी रखते हैं

लम्हा लम्हा मुझे वीरान किए देता है

बस गया मेरे तसव्वुर में ये चेहरा किस का

इस शहर में तो कुछ नहीं रुस्वाई के सिवा

'दिल' ये इश्क़ ले के किधर गया तुझे

गिर्द-ओ-पेश से इस दर्जा बे-नियाज़ गुज़र

जो बे-ख़बर से हैं सब की ख़बर भी रखते हैं

ये दिलचस्प वादे ये रंगीं दिलासे

अजब साज़िशें हैं कहाँ गया हूँ

कहाँ मैं अभी तक नज़र सका हूँ

ख़ुदा जाने कितनी तहों में छुपा हूँ

हसीं है शहर तो उजलत में क्यूँ गुज़र जाएँ

जुनून-ए-शौक़ उसे भी निहाल कर जाएँ

फिर मरहला-ए-ख़्वाब-ए-बहाराँ से गुज़र जा

मौसम है सुहाना तो गरेबाँ से गुज़र जा

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